देश नही कटने दूँगा हंसवाहिनी,ज्ञानदायिनी सरस्वती को वंदन कर लूं। सुखदायिनी,पालनहारी भारत भू अभिनन्दन कर लूं। जान लुटा दी इस धरती पर,अमर ज्योति प्रज्जवलित कर लूं। वीर सैनिकों की कुर्बानी को नतमस्तक वंदन कर लूं। आग लगी हो जब सीने में,देशभक्ति के नाम की। मरकर भी तुम पौध लगाओ,भारत भू के शान की। जिस पर मैने जान लुटा दी, वो धरती कल्याणी है। कण कण जिसका तीर्थ मानो, भूमि स्वर्ग से प्यारी है।। जहाँ भगत, आजाद की आंधी,तुफानो को तैयार करो। जहाँ बापू की अहिंसा शक्ति,धर्म-धैर्य निर्माण करो। जिस धरती की विजय पताका,प्रकृति यौवन झूले। उस भारत की पावन धरती पर मेरा मन डोले।। मरकर भी मैं अंतिम इच्छा, दिल मे मेरे रखता हूँ। दो गज की भारत भूमि और कफ़न तिरंगा मुझे मिले।। तन मन धन और यौवन इस पर, लख लख बार लुटा दूँगा। मेरा तिरंगा अमर रहेगा, इस पर जान लुटा दूँगा। भारत की रक्षा के खातिर इतना ही लिखता हूं सौगंध है मिट्टी की हमको,देश नही कटने दूँगा। स्वरूप जैन'जुगनू'
मेरी नवींन रचना बचपन को समर्पित। *आओ दोस्तो काम करे लौट चले बचपन की ओर* खिलता यौवन चलता जीवन,बचपन की यादों की ओर। आओ दोस्तो काम करे लौट चले बचपन की ओर।। मिट्टी के घर बनाकर,तोड़ेंगे सपनो की डोर। लड्डू भी होंगे मिट्टी के,खा जाएगा मेरा मोर। तोड़ेंगे ओरो के घर को,फिर साथ मिलकर बनाएंगे। आओ दोस्तो एक काम करे,फिर लौट चले बचपन की ओर।। विद्यालय की छुट्टियों को उत्सव की तरह मनाएंगे। हर दिन हमको छुट्टियां मिले, यही प्रार्थना गाएंगे। रविवार की याद में सप्ताह निकल जाएगा। वो रविवार आएगा और हम बचपन मे खो जाएंगे। फिर सब मिलकर यही कहेंगे,सुबह मिलते है स्कूल की ओर। आओ दोस्तो एक काम करे, लौट चले बचपन की ओर। कक्षा के आतंकवादी हम,शरारते फैलाएंगे। जब भी पकड़े जाएंगे हम,रोकर पीछा छुड़ाएंगे। छूटते ही कक्षा में शेर बनकर आएंगे। ऑफिस हमारा तिहाड़ जेल ,हम कैदी बन जाएंगे। कैदी बनने की खातिर,सौ बार लड़ेंगे हम। आओ दोस्तो काम करे लौट चले बचपन की ओर।। क्रिकेट के भगवान बनकर,पड़ोसियों के घर तोड़े। टूटे हुए हर बल्ले पर प्लास्टिक बोतल जोड़े। फिर खेलेंगे जमकर यारो,संकड़ी गलियों के मोड़। कांच टूटे या सिर ...