मेरी नवींन रचना बचपन को समर्पित।
*आओ दोस्तो काम करे लौट चले बचपन की ओर*
खिलता यौवन चलता जीवन,बचपन की यादों की ओर।
आओ दोस्तो काम करे लौट चले बचपन की ओर।।
मिट्टी के घर बनाकर,तोड़ेंगे सपनो की डोर।
लड्डू भी होंगे मिट्टी के,खा जाएगा मेरा मोर।
तोड़ेंगे ओरो के घर को,फिर साथ मिलकर बनाएंगे।
आओ दोस्तो एक काम करे,फिर लौट चले बचपन की ओर।।
विद्यालय की छुट्टियों को उत्सव की तरह मनाएंगे।
हर दिन हमको छुट्टियां मिले, यही प्रार्थना गाएंगे।
रविवार की याद में सप्ताह निकल जाएगा।
वो रविवार आएगा और हम बचपन मे खो जाएंगे।
फिर सब मिलकर यही कहेंगे,सुबह मिलते है स्कूल की ओर।
आओ दोस्तो एक काम करे, लौट चले बचपन की ओर।
कक्षा के आतंकवादी हम,शरारते फैलाएंगे।
जब भी पकड़े जाएंगे हम,रोकर पीछा छुड़ाएंगे।
छूटते ही कक्षा में शेर बनकर आएंगे।
ऑफिस हमारा तिहाड़ जेल ,हम कैदी बन जाएंगे।
कैदी बनने की खातिर,सौ बार लड़ेंगे हम।
आओ दोस्तो काम करे लौट चले बचपन की ओर।।
क्रिकेट के भगवान बनकर,पड़ोसियों के घर तोड़े।
टूटे हुए हर बल्ले पर प्लास्टिक बोतल जोड़े।
फिर खेलेंगे जमकर यारो,संकड़ी गलियों के मोड़।
कांच टूटे या सिर फ़ूटे,भागेंगे बोल की ओर।
आओ दोस्तो काम करे लौट चले बचपन की ओर।।
गंदगी में खेलकर, स्वच्छता फैलाएंगे।
भैयाजी को देखकर,सारे कंचे छिप जाएंगे।
जैसे जेब टनटोलेंगे,सन सनाहट गूँजेगी।
और प्रार्थना में हमारी ,ज्ञानी वाणी बोलेगी।
फिर उन कंचो को ले चले स्कूल की ओर।
आओ दोस्तो काम करे लौट चले बचपन की ओर।।
पहाड़ पर दोस्तो के संग, बिना बताए जाएंगे।
घर आते ही माताश्री के डंडे प्रेम से खाएंगे।
पिताश्री की वकालत से जमानत कराएंगे।
अगले दिन सारी पेसिया,स्कूल में कराएंगे।
उन सभी पेशियों को ले चले आदर्श स्कूल की ओर।
आओ दोस्तो काम करे लौट चले बचपन की ओर।।
शादी चाहे किसकी हो, बाराती बन जाते हम।
हर मंदिर की प्रसादी में ,भक्त बड़े बन जाते हम।
सबसे आगे खड़े रहते,लाइन हमसे बनती थी।
वो बचपन ही था,जब हमारी भी चलती थी।
फिर से उस बचपन को ले चले,सपनो की ओर।
आओ दोस्तो काम करे लौट चले बचपन की ओर।।
सिक्को और खिलौनों को फिर से टँटोले हम।
निकर वाली फोटो और ननिहाल की यादे जोड़े हम।
दिखा दो अपनी DP में, ऐसा था मेरा बचपन।
जुगनू था और जुगनू रहूंगा,लौट चले बचपन की ओर।
आओ दोस्तो कभी बैठकर ,मिलकर चले यादों की ओर।
लौटेंगे बड़ी मस्ती से,याद रहेगा ये बचपन।
आओ दोस्तो कुछ काम करे, हम लौट चले बचपन की ओर।
आओ दोस्तो काम करे लौट चले बचपन की ओर।।
बचपन की यादों के संग
-- स्वरूप जैन'जुगनू'
*आओ दोस्तो काम करे लौट चले बचपन की ओर*
खिलता यौवन चलता जीवन,बचपन की यादों की ओर।
आओ दोस्तो काम करे लौट चले बचपन की ओर।।
मिट्टी के घर बनाकर,तोड़ेंगे सपनो की डोर।
लड्डू भी होंगे मिट्टी के,खा जाएगा मेरा मोर।
तोड़ेंगे ओरो के घर को,फिर साथ मिलकर बनाएंगे।
आओ दोस्तो एक काम करे,फिर लौट चले बचपन की ओर।।
विद्यालय की छुट्टियों को उत्सव की तरह मनाएंगे।
हर दिन हमको छुट्टियां मिले, यही प्रार्थना गाएंगे।
रविवार की याद में सप्ताह निकल जाएगा।
वो रविवार आएगा और हम बचपन मे खो जाएंगे।
फिर सब मिलकर यही कहेंगे,सुबह मिलते है स्कूल की ओर।
आओ दोस्तो एक काम करे, लौट चले बचपन की ओर।
कक्षा के आतंकवादी हम,शरारते फैलाएंगे।
जब भी पकड़े जाएंगे हम,रोकर पीछा छुड़ाएंगे।
छूटते ही कक्षा में शेर बनकर आएंगे।
ऑफिस हमारा तिहाड़ जेल ,हम कैदी बन जाएंगे।
कैदी बनने की खातिर,सौ बार लड़ेंगे हम।
आओ दोस्तो काम करे लौट चले बचपन की ओर।।
क्रिकेट के भगवान बनकर,पड़ोसियों के घर तोड़े।
टूटे हुए हर बल्ले पर प्लास्टिक बोतल जोड़े।
फिर खेलेंगे जमकर यारो,संकड़ी गलियों के मोड़।
कांच टूटे या सिर फ़ूटे,भागेंगे बोल की ओर।
आओ दोस्तो काम करे लौट चले बचपन की ओर।।
गंदगी में खेलकर, स्वच्छता फैलाएंगे।
भैयाजी को देखकर,सारे कंचे छिप जाएंगे।
जैसे जेब टनटोलेंगे,सन सनाहट गूँजेगी।
और प्रार्थना में हमारी ,ज्ञानी वाणी बोलेगी।
फिर उन कंचो को ले चले स्कूल की ओर।
आओ दोस्तो काम करे लौट चले बचपन की ओर।।
पहाड़ पर दोस्तो के संग, बिना बताए जाएंगे।
घर आते ही माताश्री के डंडे प्रेम से खाएंगे।
पिताश्री की वकालत से जमानत कराएंगे।
अगले दिन सारी पेसिया,स्कूल में कराएंगे।
उन सभी पेशियों को ले चले आदर्श स्कूल की ओर।
आओ दोस्तो काम करे लौट चले बचपन की ओर।।
शादी चाहे किसकी हो, बाराती बन जाते हम।
हर मंदिर की प्रसादी में ,भक्त बड़े बन जाते हम।
सबसे आगे खड़े रहते,लाइन हमसे बनती थी।
वो बचपन ही था,जब हमारी भी चलती थी।
फिर से उस बचपन को ले चले,सपनो की ओर।
आओ दोस्तो काम करे लौट चले बचपन की ओर।।
सिक्को और खिलौनों को फिर से टँटोले हम।
निकर वाली फोटो और ननिहाल की यादे जोड़े हम।
दिखा दो अपनी DP में, ऐसा था मेरा बचपन।
जुगनू था और जुगनू रहूंगा,लौट चले बचपन की ओर।
आओ दोस्तो कभी बैठकर ,मिलकर चले यादों की ओर।
लौटेंगे बड़ी मस्ती से,याद रहेगा ये बचपन।
आओ दोस्तो कुछ काम करे, हम लौट चले बचपन की ओर।
आओ दोस्तो काम करे लौट चले बचपन की ओर।।
बचपन की यादों के संग
-- स्वरूप जैन'जुगनू'
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